आगरा-शासन ने देर रात आईपीएस अधिकारियों के तवादले किये है, जिसमे आगरा के पुलिस कप्तान जोगेन्द्र कुमार को हटा कर बबलू कुमार को आगरा का पुलिस कप्तान बनाया है,बीते कुछ समय पहले ही शासन ने 2007 बेच के आईपीएस जोगेन्द्र कुमार को तेजतर्रार आईपीएस अमित पाठक की जगह आगरा की कमान सौपी थी।





बबलू कुमार 2009 बेच के आईपीएस अधिकारी है बबलू कुमार मूल रूप से बिहार के मधुबनी के रहने बाले है,बबलू कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई जिसके बाद बबलू कुमार आईआईटी कानपुर से एम.टेक किया,बबलू कुमार एम.टेक करने के बाद आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर बनना चाहते थे लेकिन बिहार में सिविल सर्विसेज का आकर्षण होने के कारण बबलू कुमार ने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी जिसके बाद 2009 में बबलू कुमार का आईपीएस में चयन हो गया और उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला,आईपीएस में चयन होने के बाद बबलू कुमार ने तीन माह की ट्रेनिंग मंसूरी में की साथ ही दस माह की ट्रेनिंग हैदराबाद में की।





आईपीएस बबलू कुमार की पहली पोस्टिंग ट्रेनी ऑफिसर के रूप में मेरठ जिले में हुई ,मेरठ में तीन माह तक थाना प्रभारी खरखोदा के रूप में तैनात रहे,बबलू कुमार ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कई जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक, बरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रहे,आजमगढ़ में रहते हुए बबलू कुमार ने पुलिस कर्मियों के लिए कई सराहनीय कार्य किये,जिसमे पुलिसकर्मियों के लिए आरओ वाटर प्लांट,पुलिस लाइन में पराग डेयरी के दूध का काउंटर भी खुलवाया,बबलू कुमार ने ऐसे ही कई कार्य झाँसी में रहते हुए पुलिसकर्मियों के लिए करवाये जिसमे पुलिस लाइन के आवासीय परिसरों की मरम्मत,जिम और पुलिस लाइन की मेस भी बड़े अच्छे ढंग से बनवाई।





झांसी के बाद पुलिस अधीक्षक देहात गाजीपुर में वह फरवरी 2013 से मई 2014 तक रहे। गाजीपुर में पोस्टिंग के दौरान एक लूट की घटना हो गई। पीडि़त ने तीन लोगो को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया था। जब बबलू कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने आरोपियो को पकड़ा और उनसे बरामदगी के लिए कड़ी पूछताछ की गई तो आरोपियो ने उन्हे बताया कि घटना के समय वह तो परीक्षा देकर लौट रहे थे हमे घटना के बारे में कुछ भी नही पता है। हमें झूठा फंसाया गया है। आरोपियो से पूछताछ के दौरान बबलू कुमार को यह आभास हो गया था कि इनकी नामजदगी झूटी है लेकिन चूंकि वादी ने इनको नामजद किया था इसलिए पुलिस ने मजबूरन इन तीनो को जेल भेज दिया था लेकिन धुन के पक्के अफसर के रूप में पहचान बनाने वाले बबलू कुमार ने इस घटना की गहराई तक जाकर जांच की और तीन असली लुटेरो को पकड़कर जेल भेजा तथा पूर्व में जेल भेजे गये तीनो बेकसूर लोगो को धारा 169 के तहत जेल से रिहा करा दिया। बबलू कुमार के इस गुडवर्क पर गाजीपुर के लोगो ने उनकी सराहना की थी। गाजीपुर के बाद बबलू कुमार पुलिस अधीक्षक महोबा बने। वहां वह मई 2014 से अगस्त 2014 तक रहे। उसके बाद पुलिस अधीक्षक स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरों में तैनात रहे। अगस्त 2014 से जनवरी 2015 तक वह पुलिस अधीक्षक जोनपुर रहे। जौनपुर में एक बार एक व्यक्ति ने बबलू कुमार को फोन करके अपनी शिकायत की उसकी शिकायत के तुरन्त बाद बबलू कुमार ने संबधित थाना प्रभारी को उस व्यक्ति की शिकायत का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर करने के आदेश दिए। बबलू कुमार के आदेश के बाद पुलिस सक्रिय हुई और पीडि़त व्यक्ति को बुलाकर उसकी समस्या का समाधान कराया। जिस व्यक्ति की टेलीफोन पर ही समस्या का निदान बबलू कुमार ने कराया वह अपने घर से पचास किलोमीटर दूर जौनपुर जिला मुख्यालय आया और काफी देर तक बबलू कुमार का उनके आवास पर इंतजार किया और जब वह व्यक्ति बबलू कुमार से मिला तो उसने बबलू कुमार को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं आपसे इसलिए मिलने आया हूॅ कि देखू तो सही कि वह अफसर कौन है जिसने मेरी समस्या का समाधान केवल फोन पर ही करा दिया।यहां से बबलू कुमार को एसटीएफ उत्तर प्रदेश की पश्चिमी यूनिट के एस0पी0 के रूप में भेज दिया गया। फरवरी 2015 से लेकर मई 2015 तक वह एसटीएफ में तैनात रहे।एसटीएफ उत्तर प्रदेश की पश्चिमी यूनिट के एस0पी0 के रूप में बबलू कुमार वर्ष 2015 में तैनात रहे। अपने लगभग चार महीने के कार्यकाल में बबलू कुमार ने पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश और आईजी एसटीएफ सुजीत पांडे के निर्देशन में कई बड़े गुडवर्को को अंजाम दिया। बबलू कुमार के नेतृत्व में एसटीएफ ने पचास हजार के ईनामी जोगेन्द्र उर्फ जुगला को मुकीम काला गैंग के डा0 सलीम, दो लाख रूपये के ईनामी बदमाश सुक्रमपाल उर्फ भगत, दस हजार रूपये के ईनामी कंचन बढई, सुन्दर भाटी गैंग के शूटर कालू भाटी, पचास हजार रूपये के ईनामी बदमाश जितेन्द्र उर्फ जीतू को गिरफ्तार करने के साथ-साथ वन्य जीवो के अंगो के तस्कर और जाली मुद्रा के तस्करों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई थी।









उस समय एसटीएफ में बबलू कुमार के सहयोगी के रूप में अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह व सीओ अनित कुमार, एसटीएफ यूनिट मेरठ व अपर पुलिस अधीक्षक अजय सहदेव व सीओ अनुज चौधरी एसटीएफ यूनिट नोएडा के साथ-साथ अन्य पुलिसजनो का भी योगदान रहा। बबलू कुमार जब एसटीएफ में थे तो शाहजहांपुर मे एक पत्रकार की हत्या के बाद हरेवा गांव में एक दलित महिला को कुछ दबंगो ने मारपीट करते हुए अर्धनग्न अवस्था में गांव में घुमा दिया था। इस घटना के तूल पकडने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलो के लोग और एससीएसटी आयोग के चैयरमेन ने दौरा किया तो पुलिस पर सवाल उठने लगे। ऐसे में उत्तर प्रदेश शासन ने एसटीएफ से हटाकर बबलू कुमार को शाहंजहापुर का पुलिस अधीक्षक बना दिया। मई 2015 से लेकर फरवरी 2016 तक वह शाहजहांपुर में पुलिस अधीक्षक रहे। बबलू कुमार ने शाहजहांपुर में भी पुलिसकर्मियो की बुनियादी सुविधाओ के लिए काफी काम किया था। उन्होंने शाहजहांपुर में शुद्व पानी के लिए आरओ प्लांट, शानदार पुलिस कार्यालय, उच्च क्वालटी का बारबर शॉप, पुलिस लाईन के आवासीय परिसर में टायलेट में टाईल्स, आवास में रिपेयरिंग, सभी बैरकों में इनवर्टर, बैटरा और टी0वी0 भी लगवाया था। बबलू कुमार ने शाहजहांपुर में मीटिंग हॉल मनोरंजन कक्ष, गेस्ट हाऊस बनवाने के साथ-साथ पुलिस लाईन में ही एक अच्छी कैंटीन भी बनवाई थी। जनपद शाहजहांपुर के थाना कटरा का एक संस्मरण सुनाते हुए बबलू कुमार नेे बताया कि एक लड़की सोनी को उसके ससुराल वालो ने जलाकर मार डाला था। उसके बाद उसकी गुमशुदगी लिखा दी। हमने उस प्रकरण की जांच क्राइम ब्रांच से कराई। सर्विलांस के द्वारा सीडीआर निकलवाई तो यह केस खुला। इसमें उस लड़की की हत्या बदायूॅ के रिश्तेदारो से मिलकर उसके ससुराल वालो ने संभल में ले जाकर की थी। उस गाड़ी मे जिसमें उस लड़की को लेकर गये थे उसमें से खून के नमूने लिये गये। सर्विलांस के द्वारा सारी लोकेशन देखी गई। उसके बाद जब पूरा मामला खुल गया तो जितने लोग उस लड़की के कत्ल में शामिल थे सभी को पकडकर जेल भेजा गया। इस प्रकरण में पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपियो ने अपनी लोकेशन बरेली की दिखाई दी ताकि पुलिस को लगे कि यह लोग बरेली आदि जनपदों में लड़की को तलाश कर रहे है। यह केस डेढ माह में खुल गया था। जनपद शाहजहांपुर के कस्बा जलालाबाद में एक चिकित्सक किन्नर बनाता था और एक लाख रूपया लेता था उसने मध्य प्रदेश के कुछ युवको को किन्नर बना दिया था डाक्टर के इस कारनामे से नाराज उसके पास मध्य प्रदेश के कुछ लडके आये। वह उसे इलाज के नाम पर मध्य प्रदेश में ले गये और वहां ले जाकर उसे तथा उसके बेटे को बंधक बना लिया। डाक्टर के परिजनो से उन्होंने बीस लाख रूपये की मांग की। यह मामला जब बबलू कुमार की जानकारी में आया तो उन्होने क्राइम ब्रांच की टीम को लगाया तो सर्विलांस के द्वारा पता चला कि डाक्टर की लोकेशन मध्य प्रदेश में है। हमने टीम बनाई और पैसा लेकर एसओजी के प्रभारी को भेजा। एसओजी प्रभारी ने फोन पर वार्ता की और कहा कि वह पैसा लेकर आ गये है। उन्हे उस गांव से बाहर बुलाया और चारो तरफ से घेराबंदी करके अपहरणकर्ताओ को पकड़ लिया और डाक्टर साहब को सकुशल बचा लिया। उस घटना के बाद डाक्टर साहब के बेटे ने पुलिस का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस ने उनके परिवार को नया जीवन दिया है। बबलू कुमार शाहजहांपुर में तैनात थे तो उस समय उनके कार्यकाल में प्रसिद्व संत आसाराम बापू के गवाह का कत्ल हो गया था। उस गवाह के हत्यारे की तलाश में पुलिस ने पानीपत, अहमदाबाद, फतेहपुर, मुजफ्फरनगर आदि स्थानो की खाक छानी लेकिन कोई क्लू नहीं मिल पाया। पुलिस शूटर की तलाश में लगी रही और वह शूटर आखिरकार अहमदाबाद में पकड़ा गया। यह मामला हाईप्रोफाइल था। पुलिस ने कार्तिक नामक शूटर को गिरफ्तार किया तो पुलिस की आम जनता में इमेज बनी। उसी दौरान जनपद शाहंजहापुर में पंचायत चुनाव समपन्न हुआ। इस चुनाव में एक विधायक के भाई ने दबगई करने का प्रयास किया था। उसके विरूद्व मुकदमा दर्ज करके उसे जेल भेजा गया। उस समय पूरे जनपद में पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ। किसी भी स्थान पर पुर्नमतदान नहीं हुआ था। यही वजह रही कि लखनउ में निर्वाचन आयोग और डीजीपी जाविद अहमद ने उन्हे सम्मानित किया था। बबलू कुमार ने अपनी कार्यशैली से विपरीत परिस्थिति में भी बेहतर पुलिसिंग का सबूत दिया था। यही वजह रही कि जब जालौन में खनन को लेकर बवाल हुआ तो उत्तर प्रदेश शासन ने बबलू कुमार को जालौन का पुलिस कप्तान बना दिया। जालौन में बबलू कुमार ने अवैध खनन पर रोक लगाने के साथ-साथ अपराध नियंत्रण पर भी काम किया। वह मार्च 2016 से जून 2016 तक वह जालौन के पुलिस अधीक्षक रहे। जब एसपी बबलू कुमार जनपद जालौन में तैनात थे तब उनके कार्यकाल में एक मामला ऐसा आया जिसमें कुछ बेगुनाह लोग झूठे मामले में फंसा दिए गये थे। वह मामला ऐसा था जिसमे पति और पत्नि का आपस में न्यायालय में विवाद चल रहा था। पति न्यायालय से तारीख करके वापस लौट रहा था। उसकी रास्ते में हत्या कर दी गई। शक के आधार पर पति के परिजनो ने उसकी पत्नि तथा अन्य परिजनो के विरूद्व हत्या का मुकदमा पंजीकृत करा दिया। पुलिस ने पत्नि तथा उसके परिजनो को जेल भेज दिया। लेकिन जब इस मामले की जांच की गई तो प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो गया कि इस मामले में पत्नि तथा उसके परिजनो का कोई हाथ नहीं है। इसी बीच पुलिस ने एक लुटेरे का गैंग पकड़ा। उनसे जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ही उस युवक की हत्या की गई है जिसके परिजनो ने उस युवक की पत्नि के परिजनो को नामजद कराया था। हत्या की वजह उन्होंने बताई कि जब वह रास्ते में वापस लौट रहे थे तब उनका विवाद उस युवक से हो गया था। वह विवाद इतना बढ़ गया था कि लुटेरो के गिरोह ने उस युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। जब इस प्रकरण का खुलासा हो गया तब एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में धारा 169 की कार्यवाही करके निर्दोष लोग जो जेल भेजे गये थे उनको रिहा कराया गया। जनपद जालौन में एक और मामला घटित हुआ। इसमें एक व्यापारी की उसकी दुकान पर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस प्रकरण में खास बात यह थी कि गोली किसने मारी थी उसको सब जानते थे लेकिन कोई गवाही देने को तैयार नही था। हत्या के इस मामले में अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज हुई। मृतक के परिजनो को भी मारने वाले का नाम पता था लेकिन वह भी गवाही देने के लिए तथा कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं हुए। एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में जांच की गई तो सपा के जिलाध्यक्ष के ममेरे भाई बंटू का नाम सामने आया। हर बिन्दु पर जांच करने के उपरांत बंटू के एक दोस्त को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो व्यापारी की हत्या का राज खुलता चला गया। बंटू को हिरासत में लिया गया। उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इस मामले में पूरी सावधानी बरती गई। सारे साक्ष्य एकत्रित करके पुलिस ने यह कार्यवाही की। इस प्रकरण में उस मोटरसाईकिल को भी बरामद कर लिया गया जिस पर सवार होकर अपराधियो ने व्यापारी की दुकान पर आकर गोली मारी थी। हत्या के इस मामले का खुलासा मात्र 28 दिन में ही एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में कर दिया गया। जालौन में जब पुलिस का इकबाली बुलंद चल रहा था तभी मथुरा में जवाहरबाग कांड हो गया जिसमें कई पुलिस अफसर शहीद हो गये थे और यह मामला हाईलाईट हो गया था। तब उत्तर प्रदेश शासन ने मुजफ्फरनगर जैसे संवेदनशील जनपद में काम कर चुके आईएएस अफसर निखिल चंद शुक्ला के साथ बबलू कुमार को मथुरा में बतौर पुलिस कप्तान तैनात करते हुए हैलिकॉप्टर से मथुरा भेजा था।






 वह 6 जून 2016 को एसएसपी मथुरा के पद पर नियुक्त हुए मथुरा मे पोस्टिग के बाद बबलू कुमार ने जवाहर बाग कांड को षान्त किया तो मथुरा में एक बार चार साल के बच्चे का जिसका नाम अंश था उसका अपहरण हो गया था। यह घटना थाना कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत हुई थी और यह मामला बहुत हाईलाइट हो गया था। इस प्रकरण में एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में पुलिस ने एक मुठभेंड के दौरान अंश को न केवल सकुशल बरामद किया था अपितु दो अपहरणकर्ताओ को मौके से गिरफ्तार भी कर लिया था। यदि समय रहते पुलिस कार्यवाही न करती तो अपहरणकर्ता बच्चे को मार देते। इस घटना के बाद व्यापार मंडल तथा अन्य सामाजिक संगठनो ने एसएसपी बबलू कुमार तथा पूरी पुलिस टीम का अभिनंदन भी किया था। इसी प्रकार से एक अन्य प्रकरण का खुलासा भी एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में किया गया था। यह मामला कुछ इस तरह से था। कुछ युवक लड़कियो के फोटो वाट्सअप से लेकर फिर उन्हे आपत्तिजनक बनाकर लडकियों को ब्लैकमेल किया करते थे। पहले व्हाट्सएप के जरिए दोस्ती की जाती थी और उसके बाद दोस्ती के बहाने उसके आपत्तिनजनक फोटो बनाकर उसे ब्लैकमेल करते थे और बाद में उनकी सहेलियों से संपर्क स्थापित करके फिर उनको शिकार बनाया जाता था। इस प्रकरण में मुख्य अपराधी को पटना से गिरफ्रतार करके लाया गया। इस प्रकरण का खुलासा होने पर एसएसपी बबलू कुमार को पीडित लडकियो तथा उनके परिजनो ने उनका आभार व्यक्त किया। बबलू कुमार जब मथुरा में तैनात थे तो सोशल मीडिया पर रात्रि के लगभग 12 बजे किसी पत्रकार ने एक पोस्ट डाली जिसमें एक अस्पताल के बाहर एक बच्ची इलाज न होने की वजह से रो रही थी तथा उसके परिजन परेशान थे। जैसे ही बबलू कुमार ने इस पोस्ट को देखा तो उन्होंने तुरन्त उस इलाके के थाना प्रभारी को फोन करके उस बच्ची के इलाज का इंतजाम करने को कहा। बबलू कुमार ने थाना प्रभारी के साथ-साथ उस अस्पताल के प्रबंधको और चिकित्सको से बातचीत कर उस बच्ची का इलाज निःशुल्क कराया था। बबलू कुमार के इस मदद की जानकारी नागरिको को हुई तो उन्होंने बबलू कुमार की सराहना करते हुए बबलू कुमार व इलाज में मदद करने वाली टीम को सम्मानित किया था। एक अन्य मामला हुआ कि उसमें एक दिल्ली का व्यापारी एसएसपी बबलू कुमार का प्रंशसक हो गया। यह मामला इस प्रकार से था। दिल्ली के व्यापारी प्रदीप गर्ग है वह अपने कारोबार के सिलसिले में मथुरा समेत अंन्य जनपदों में आतें-जाते रहते है। वह एक बार मथुरा में और वहां वह भंयकर जाम में फंस गये। प्रदीप गर्ग ने एसएसपी मथुरा बबलू कुमार के सीयूजी नम्बर पर मैसेज किया और उन्हे मैसेज के द्वारा अवगत कराया कि वह जाम में फंसे है। एसएसपी बबलू कुमार ने उस मैसेज का संज्ञान लेकर तुरन्त संबधित थाने की पुलिस तथा यातायात पुलिस को मौके पर भेजा और जाम को खुलवाया। प्रदीप गर्ग ने एसएसपी बबलू कुमार का आभार व्यक्त किया। उनके पुलिस के कई उच्चाधिकारियो से संपर्क थे उन्होंने यह मामला अपने परिचित पुलिस के उच्चाधिकारियो को भी बताया और एसएसपी बबलू कुमार की कार्यप्रणाली की बेहद प्रंशसा की थी। बबलू कुमार ने जवाहर कांड के बारे में बताया कि जिस समय यह कांड घटित हुआ था उस समय जनपद मथुरा केजिलाधिकारी निखिल चंद शुक्ला तथा मेरी तैनाती की गई थी। यह समय ऐसा था कि पुलिस का मनोबल बेहद गिरा हुआ था। पुलिसजनो की कैजुएलटी हो गई थी। उस घटना को नियंत्रित करना था। सबसे पहले पुलिसजनो को मनोबल बढाया गया। उनके दिल में यह विश्वास पैदा किया गया कि किसी भी पुलिसकर्मी का अनावश्यक निलम्बन नहीं होगा। पुलिसकर्मियो तथा उपनिरीक्षको से अलग-अलग वार्ताएं की गई। इस घटना की पूरी विवेचना कराई गई। जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया गया। 15 दिनो के बाद तीन अभियुक्तो को गिरफ्तार किया गया। मै उस केस को हल करने में स्वंय लगा रहता था। रात के तीन बजे बैठकर काम किया करता था। मैने निष्पक्षता से कार्यवाही की। इस प्रकरण में चूंकि अपराधियो से जनता और मीडिया दोनो नाराज थे इसलिए इस वर्ग का मुझे सर्मथन मिला। हमने इस कांड में पुलिस को बैकफुट पर नही आने दिया। इसी जनपद में विशम्भरा और हाथिया दो गांव ऐसे थे जहां पर पुलिस भी जाने से डरती थी। एक बार एक ट्रक में गाय लदी थी। उसको आग के हवाले कर दिया गया था। यह मेवाती लोग थे जो पुलिस का सामना करते थे। एक बार जब पुलिस का इनसे आमना'-सामना हो गया था तब पुलिसकर्मी मारे गये थे। लेकिन बाद में मेरे नेतृत्व में काम करके पुलिस का मनोबल इतना बढ़ गया था कि पुलिस न केवल उन गांवो में घुस जाती थी और अपराधियो को गिरफ्तार करके भी ले आती थी। मथुरा में जवाहरबाग वाले प्रकरण को शांत करने में बबलू कुमार के सहयोगी के रूप् में पुंलिस अधीक्षक देहात अरूण कुमार, पुलिस अधीक्षक नगर आलोक प्रियदर्शी, पुलिस अधीक्षक यातायात आशुतोष पांडे आदि थे। इस प्रकरण के दौरान कई जांच आयोगो तथा अदालती कार्यवाही का भी सामना करना पडा। मथुरा के बाद जब मुजफ्फरनगर के तत्कालीन पुलिस कप्तान दीपक कुमार का शासन गाजियाबाद तबादला करना चाहता था तो यही सवाल खड़ा हुआ कि 2013 के दंगो के बाद से उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील जनपद मुजफ्फरनगर में किसे तैनात किया जायें क्योंकि इस जनपद में छोटी-छोटी घटनाओं को भी साम्प्रदायिक रूप देकर माहौल ,खराब करने की कोशिश की जाती थी। अब चूंकि मथुरा में जवाहरबाग कांड के आरोपी जेल चले गये थे तथा मथुरा शांत था इसलिए शासन ने बबलू कुमार को मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात कर दिया।16 अक्टूबर 2016 को बबलू कुमार ने जब मुजफ्फरनगर के एसएसपी का पदभार संभाला तो उनके सामने संवेदनशील मुजफ्फरनगर पर कानून-व्यवस्था बनाना चुनौती के रूप में था। चार्ज संभालते ही बबलू कुमार ने पैट्रोल पंप, बैंक कर्मचारियो, सर्राफा व्यापारियो की बैठक की और इन सभी को निर्देश दिए कि सभी अपने-अपने संस्थानो पर सीसीटीवी कैमरा लगवायें तथा अपने गार्डो का पुलिस से सत्यापन भी करायें। एसएसपी बबलू कुमार ने चीता मोबाइल को भी आदेश दिया था कि दस बजे से चार बजे तक बैकों की चैकिंग करते रहे। उन्होंने सर्राफा व्यापारियों को मीटींग में कहा था कि सर्राफा व्यापारी जब भी अधिक ज्वैलरी या पैसा लेकर जायें तो संबधित थाना प्रभारी को उसकी सूचना दें। ताकि आपके साथ कोई घटना न घटित हो पाये। इसके साथ ही बबलू कुमार ने पुलिस लाईन में रिक्रूट पुलिसकर्मियो का जन्म दिन मनाकर पुलिस को भी एक संदेश दंेने की कोशिश की। एसएसपी मुजफ्फरनगर बबलू कुमार के कार्यकाल में दो प्रकरण ऐसे सामने आये जिसमे उन्होंने अपनी सूझबूझ से इन प्रकरणों में शामिल अपराधियो पर कानून का शिकंजा कसा अपितु आम जनता में पुलिस के प्रति एक अच्छा संदेश गया। सबसे पहले महिमा हत्याकांड घटित हुआ था। इस प्रकरण में थाना नई मंडी क्षेत्र के अंतर्गत अंकित विहार निवासी देवप्रकाश तथा उनके बेटे अक्षय को कुछ दंबगो ने इसलिए बंधक बना लिया था क्योंकि उनका कुछ पैसा देवप्रकाश पर बाकी था। देवप्रकाश का कहना था कि उससे वह पैसा जहरखुरानी गिरोह ने लूट लिया है लेकिन दंबग लोग इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं थे। देवप्रकाश की पत्नि श्रीमति संजू देवी लगातार अपने पति और बेटे की रिहाई के लिए पुलिस अधिकारियो के चक्कर लगा रहीं थी लेकिन चूंकि दंबगो का संपर्क कुछ रसूखदार नेताओ से था इसलिए वह चाहकर भी कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही थी। अंत में देवप्रकाश और उसके बेटे की जब दंबगो ने रिहाई नही की तो देवप्रकाश की बेटी महिमा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस प्रकरण में कुछ राजनीतिक और सामाजिक संगठनो ने कैंडल मार्च और सर्वदलीय सभा भी आयोजित की थी तथा धरना, प्रदर्शन आदि करके पुलिस से मांग की थी वह दबंगो के विरूद्व कडी कार्यवाही करें। एसएसपी बबलू कुमार ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सर्वप्रथम इस मामले की गहनता से जांच करानी शुरू कर दी। हांलाकि शुरूआती दौर में जब बबलू कुमार की जांच चल रही थी तो कुछ लोगो ने पुलिस पर शिथिलता बरतने और दबाव में काम करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। लेकिन बबलू कुमार इससे विचलित नहीं हुए और अपनी जांच जारी रखी। जांच में जब बबलू कुमार आश्वस्त हो गये कि दंबगो ने वास्तव में इस परिवार का उत्पीड़न किया है तो उंन्होंने नई मंडी थाने में दबंगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। जब महिमा के परिजनो ने नई मंडी इन्सैक्टर पर भी भरोसा नही जताना की बात एसएसपी से कही तो उन्होंने इसकी विवेचना क्राइम ब्रांच को ट्रासफर कर दी। एसएसपी बबलू कुमार ने इस मामले में एसपी क्राइम को लगाते हुए आरोपियों की कॉल डिटेल निकलवाकर जब यह जान लिया कि वाकई इन दंबगो ने महिमा के परिवार का उत्पीडन किया है तो उन्होंने इन दंबगो के बड़े सियासी रसूख के बाद भी युधिष्ठिर पहलवान की गिरफ्तारी कराकर अन्य आरोपियो की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी है। एक अन्य प्रकरण थाना कोतवाली नगर का था। जिसमें बागजानकीदास निवासी चांद नामक युवक अचानक लापता हो गया था। उसके परिजनो ने दूसरे समुदाय के लोगो पर चांद के अपहरण का आरोप लगाते हुए तहरीर दी। जब बबलू कुमार को इस प्रकरण के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक नगर राजेश कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर डा0 तेजवीर सिंह, शहर कोतवाल प्रीतम पाल सिंह के साथ-साथ क्राइम ब्रांच को भी इस घटना के खुलासे में लगा दिया था। इसी दौरान जब चांद के परिजनो ने चांद की बरामदगी के लिए जाम लगाया तो बबलू कुमार ने संवेदनशीलता को देखते हुए दोनो समुदाय के प्रबुद्व नागरिको को शहर के मीनाक्षी चौराहे पर जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के साथ इस प्रकरण पर शांति बनाने की अपील की और दोनो तरफ के लोगो के साथ-साथ बबलू कुमार ने चांद मियां के परिजनो को भी वहीं बुलाकर आश्वस्त किया कि अपराधियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा। इसी रात को जब पकड़े गये आरोपियो की निशानदेही पर पुलिस ने चांद मियां का शव देर रात बरामद किया तो बबलू कुमार ने जिलाधिकारी दिनेश कुमार के आदेश के बाद रात में ही शव का पोस्टमार्टम कराकर उसके परिजनो को भरोसे में लेते हुए सुबह सवेरे ही उसका अंतिम संस्कार कराकर इस संवेदनशील घटना को एक सामान्य घटना करार दिया। हांलाकि इस घटना के बाद बबलू कुमार ने चांद मियां के परिजनो को भरोसे में ले लिया था लेकिन फिर भी मुजफ्फरनगर की संवेदनशीलता को देखते हुए बबलू कुमार ने कोई कोताही नहीं की और शहर के सभी चौराहो पर पूरे जनपद का फोर्स तैनात कर दिया था। हाल ही में विधानसभा का चुनाव समपन्न हुआ है। यह चुनाव प्रथम चरण में जनपद मुजफ्फरनगर में हुआ था। इस जनपद में चुनाव पर सभी की निगाहें लगी हुई थी। इलैक्ट्रोनिक मीडिया की निगाहें भी इस जनपद के चुनाव पर लगी हुई थी। विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण समपन्न कराने के लिए हर थाने में तथा हर कस्बे व गांव में शांति समितियों की बैठकें आयोजित कराई। असमाजिक तत्वों के विरूद्व कार्यवाही कराई गई। जनपद के चौराहो पर वाहनो की चैकिंग कराई गई। अर्धसैनिक बलो का फलैग मार्च कराया गया। आम जनता से सीधा संवाद रखकर जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह तथा एसएसपी बबलू कुमार ने मतदान करने के लिए प्रेरित किया। इन सब प्रयासो का असर यह हुआ कि विधानसभा चुनाव का पहला चरण जिसमें जनपद मुजफ्फरनगर भी शामिल था। वहां शांतिपूर्ण तरीके से मतदान समपन्न हुआ। इलैक्ट्रोनिक चैनलो का मानना था कि इस जनपद में हिंसा अवश्य होगी लेकिन जब शांतिपूर्ण मतदान समपन्न हुआ तो चैनल वाले भी वापस चले गये। इसका श्रेय भी जिलाधिकारी के साथ-साथ एसएसपी बबलू कुमार को ही जाता है। जब बबलू कुमार मुजफ्फरनगर को सुधार रहे थे तब पड़ोस के जनपद सहारनपुर में दलित और ठाकुरों में संघर्ष चल रहा था हालत पर जब काबू नहीं हुआ तो शासन ने बबलू कुमार को वहां का कप्तान बना दिया उन्होंने जाते ही अपने अंदाज़ में काम करना शुरू कर दिया जिस का नतीजा रहा कि बेकाबू सहारनपुर शांत हो गया ,कई जिलों में रहने के बाद अब आईपीएस बबलू कुमार को आगरा जिले की कमान सौंपी है।
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